सुखी विश्व का मेरा विचार पर हिंदी में निवंध
प्रस्तावना -: मनुष्य का जीवन सुख दुःख का मिश्रण है |कोई भी सदैव सुखी नहीं है |किन्तु हमें अधिकतरय समय में सुखी रहने का कोशिश करनी चाहिए है हममे से प्रतेक व्यक्ति प्रत्येक व्यक्ति के विचार इस सुखी रहने के विषय में भिन्न है | सुखी रहने का मेरा विचार भी अन्यलोगो के विचार से भिन्न है |
वास्तविक सुखी -: एक व्यक्ति सुखी रह सकता है यदि वह वास्तव में सुखी रहना चाहे | अकेली बह्ना परिस्थितियों की किसी को सुखी नहीं बना सकती है | वास्तविक सुखी मनुष्य के उन विचारो पर निर्भय करता है की जो उसके मस्तिष्क में घटित होतेहेट है |मनुष्य के पास जितने अधिक सांसारिक सुख होंगे वह मनुष्य उतना ही असंतोष का अनुभव करता है |यद्दपि इस वर्तमान संसार में धन ही शक्ति है | किन्तुला धन राष्ट कोन और बलवान नहीं बना सकता है | एक कवी ने कहा है ,सोना नहीं बल्कि उस देश के मनुष्य ही उस राष्ट को महान एवं बलवान बना सकते है |
सुखी विश्व का मेरा विचार पर हिंदी में निवंध
सहयोगी प्रकृति -: सिखारत कहा करते थे की अच्छे आदमी का कभी बुरा नहीं हो सकता है | उसके अनुसार अच्छा आदमी वह है जो न्यायाचित काम करनेला ,सत्य ,सही और शांतिप्रिय है | मेरे विचार से सारा संसार सुखी होगा बसर्ते प्रत्येक राज्य की नागरिक अच्छे नागरिक हो और उनके मितव्ययिता एवं विश्वबंधुत्व की भावनाए हो | विचारानुसार प्रसंन्न रहने वाले व्यक्ति को घृणा ईष्या के विचार एक दुसरे के प्रति नहीं रखने चाहिए | धनि तथा गरीबो को सहयो तथा प्रेम के साथ रहना चाहिए न की घृणा के विचारो के साथ |
ख़ुशी की बाधाएं-: भौतिक वाद और धन कमाने की मानसिकता सुखी विश्व की मार्ग की बाधाएँ है धन की मानसिकता वाला व्यक्ति स्वार्थी होता है वहल अपने हित की बात सोचता है | उसके अन्दर विश्व बंधुत्व की भावनाए नहीं होती है | संसार में सबसे उच्च शक्ति सर्वशक्तिमान ईश्वर है किन्तु मनुष्यों के मस्तिष्क में विभिन्न धार्मिक दृष्टिकोण होते है |वे धर्म के आधार को लेकर एक दुसरे से लड़ते रहते है | हिन्दू ,मुस्लिम ,और इसाई यहूदी एक दुसरे के प्रति ईष्या के विचार रखते है |
बेकारी -: एक रोजगार हिन् व्यक्ति समाज केइ अभिशाप है | सुखी विश्व के मेरे विचार से हर किसी को उसके मन प्रसन्दकी धन्धा मिल जाना चाहिए | प्रतेक को मजदूरी की उपयुक्त रकम मिलन चाहिए | मेरी सुखी दुनिया में लोग इमानदार ,कर्यसिल,स्वस्थ ,तथा अपने कर्तव्य के प्रति श्री रविंद्र नाथ टैगोर के अनुसार निडरता सच्चाई ईमानदारी कर्तव्य शीलता स्वार्थ ही नेता और ईश्वर के प्रति विश्वास रखने वाले लोग संसार में स्वर्ग कब बना लेते हैं|
सुखी विश्व का मेरा विचार पर हिंदी में निवंध
उपसंहार -: संसार में भव्य नाम की कोई चीज नहीं रहे ताकि लोग शांत जीवन जी सके किसी व्यक्ति को लूटने का मारे जाने का या घायल होने का भय नहीं होना चाहिए यह तभी संभव है जब की विश्व भर में शांति एवं सुरक्षा कायम रहे वर्तमान में विश्व के देश खून खराब करने में संलग्न है आतंकवादी संसार को धमकी दे रहे हैं कोई भी भयरहित नहीं है कोई भी सुरक्षित महसूस नहीं करता है लोगों के मस्तिष्क में मैं की भावना दूर किया गया है इसमें कानून व्यवस्था कायम रखी जाए उसके स्वर्ग बनाएं|
अंतिम शब्द -:
दोस्तों जैसा कि हमने आप को बताया सूखी भी सो मेरा विचार पर निबंध कैसे लिखते हैं आशा करते हैं या निबंध आपको पसंद आया होगा यदि आप चाहते हैं कि आपको भी किसी टॉपिक पर निबंध चाहिए तो आप हमसे कमेंट में बता सकते हैं हम आपके लिए जल्द से जल्द उस टॉपिक पर निबंध लाने की कोशिश करेंगे|
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