मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध हिंदी में
प्रस्तावना -: छापेखाने में उपयोगी वैज्ञानिक अविष्कार के रूप में असंख्य पुस्तको के छापने तथा उनकी ससंख्या में वृद्धि करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है | जैसे ही मैंने किसी पुस्तक के दुकान में प्रवेश करता हूँ तुरंन्त अपने रूचि के अनुसार एक अथवा दो पुस्तकों का चयन इसलिए कर लेता हूँ क्योंकि मई उत्तम तथा महँ पुस्तकों के पढ़ने का सौकीन हूँ |महाभारत एक ऐसी पुस्तक है जिसने मुझे अत्यधिक प्रभावित किया है |
इसके महत्त्व के कारण-: भारतवर्ष में महाभारत की लोकप्रियता के कुछ स्पष्ट कारण है |यही एक ऐसा महाकाव्य है |जो संम्पूर्ण देश में सर्वतलोकप्रिय हो गया हैसके पढ़ने से सर्वतसमस्त पाठको को अपार मनोरंजन एवं शिक्षा मिलती है | यह महाकाव्य प्राचीन भारती साहित्य की एक अमर कृति है | इसमे निहित सद्गुणों ने मुझको इतना अधिक प्रभावित किया है की मई इस पुस्तक को अपने जीवन की सर्वाधिक प्रिय अथवा अनुपम कृति मनाता हूँ | वास्तव में इस महाकाव्य को मै ज्ञान एवं मनोरंजन का महत्त्व पूर्ण स्त्रोत मनाता हूँ |
पुस्तक की संक्षिप्त कहानी -: महाभारत में पाडवों तथा कौरवों के मध्य ऐतिहासीक युध्द की कहानीकिट है | पांचो पांडवो भाई कौरवों (दुर्योधन तथा दुशासन )से शक्ति एवं श्रेष्टता में कही अधिक बढेचढ़े थे |अपने दुष्ट मामा शकुनी के निर्देशानुसार दुर्योधन ने ज्येष्ठतम पांडव युधिस्टरको चौरस के खेल में पराजित कर दिया |उस पराजित के परिणामस्वरूप युधिष्टिर अपना सम्पुण धन ,राज्य तथा प्रिय पत्नी द्रोपती को भी जुवे में हर गए | उनको बारह वर्ष के वनवास पर भी जाना पड़ा | वनवास से लौटने पर उहौने कौरवो से अपने निवास हेतु पांच भूखंड की मांग किये परन्तु कौरव इतने दुष्ट प्रवित्ति के थे की उहौने उनके निवास हेतु पांचभूखंड भी स्वीकृत नहीं किये इसी मतभेद के कारन महाभारत का ऐतिहासिक युध्द आरम्भ हो गया |अन्त में भगवान श्री कृष्ण के सुयोग्य पथ प्रदर्सन से पांडवो कौरवो के बिरुध्द अठारह दिन के खुनी एवं विनाशकारी युध्द में विजयी हुए |युधिष्टिर हस्तिनापुर के राजा बने | बाद में पाचों पांडव तथा उनकी पत्नी (द्रोपती )सबकुछ परित्याग करके हिमालय पर्वत की ओरचले गए तथा वही उनकी मृत्यु हो गई |
इसका मेरे ऊपर प्रभाव -: यद्दपि मैंने अपने जीवन में अनेक पुस्तको का अध्यन किया है फिर भी महाभारत मुझको अत्यधिक प्रभावित किया इसी कारणइसे सर्वश्रेष्ट एवं अपनी सर्वाधिक प्रिय पुस्तक समझता हूँ मुझको प्रभावित करने के कारणों का निम्नलिखित पंकियो में संक्षिप्त विवेचन किया जा रहा है |
1-: महाभारत प्राचीन भारती साहित्य का अनुपम महाकाव्य है |इसमे पाडवोतथा कौरवो के मध्य ऐतिहासिक युध्द का वर्णन अंकित है |
2-:इस महाकाव्य ने मुझे सर्वाधिक इसलिए प्रभावी किया है | इसमे बुराईके ऊपर अच्छाई की अनुपम विजय की कहानी अंकित है कौरव जो वास्तव में दुष्ट थे अंत में मारे गए तथा उनका सर्वनास हो गया | पांडव जो गुणवान थे अंत उनका विजयी हुआ
3 -:इस महाकाव्य की रचना इतनी प्रभाव पूर्ण शैली में की गई है की इसको पढ़ने से हमको अपार शिक्षा मिलती है इस महाकाव्य की रचना सैली से पाठको अत्यधिक आनन्द एवं मनोरंजन भी मिलाता है |
4-:इस पुस्तक के अध्ययन के बाद हम पांडवों के जीवन चरित्र में शिक्षा ग्रहण करते हुए उनके महान एवं साहसी कार्यों के आधार पर राशि तथा शारीरिक रूप से मजबूत बनने का प्रयास कर सकते हैं
उपसंहार -: गीता कथा महाभारत भारतीय प्राचीन साहित्य के दो अद्वितीय महाकाव्य हैं वह भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के अभिन्न अंग बन गए हैं जो स्त्री पुरुष तथा बच्चे इन महाकाव्यों का ध्यान पूर्वक अध्ययन करेंगे व्यापार मनोरंजन एवं शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं इसी कारण एवं उद्देश्य मैं इस महाकाव्य का बार-बार अध्ययन करता हूं तथा मुझे इसके पढ़ने से अधिक आनंद मनोरंजन तथा शिक्षा भी मिलती है इस महा काव्य को मैं जीवन भर नहीं भूल सकता हूं
इसके महत्त्व के कारण-: भारतवर्ष में महाभारत की लोकप्रियता के कुछ स्पष्ट कारण है |यही एक ऐसा महाकाव्य है |जो संम्पूर्ण देश में सर्वतलोकप्रिय हो गया हैसके पढ़ने से सर्वतसमस्त पाठको को अपार मनोरंजन एवं शिक्षा मिलती है | यह महाकाव्य प्राचीन भारती साहित्य की एक अमर कृति है | इसमे निहित सद्गुणों ने मुझको इतना अधिक प्रभावित किया है की मई इस पुस्तक को अपने जीवन की सर्वाधिक प्रिय अथवा अनुपम कृति मनाता हूँ | वास्तव में इस महाकाव्य को मै ज्ञान एवं मनोरंजन का महत्त्व पूर्ण स्त्रोत मनाता हूँ |
मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध हिंदी में
पुस्तक की संक्षिप्त कहानी -: महाभारत में पाडवों तथा कौरवों के मध्य ऐतिहासीक युध्द की कहानीकिट है | पांचो पांडवो भाई कौरवों (दुर्योधन तथा दुशासन )से शक्ति एवं श्रेष्टता में कही अधिक बढेचढ़े थे |अपने दुष्ट मामा शकुनी के निर्देशानुसार दुर्योधन ने ज्येष्ठतम पांडव युधिस्टरको चौरस के खेल में पराजित कर दिया |उस पराजित के परिणामस्वरूप युधिष्टिर अपना सम्पुण धन ,राज्य तथा प्रिय पत्नी द्रोपती को भी जुवे में हर गए | उनको बारह वर्ष के वनवास पर भी जाना पड़ा | वनवास से लौटने पर उहौने कौरवो से अपने निवास हेतु पांच भूखंड की मांग किये परन्तु कौरव इतने दुष्ट प्रवित्ति के थे की उहौने उनके निवास हेतु पांचभूखंड भी स्वीकृत नहीं किये इसी मतभेद के कारन महाभारत का ऐतिहासिक युध्द आरम्भ हो गया |अन्त में भगवान श्री कृष्ण के सुयोग्य पथ प्रदर्सन से पांडवो कौरवो के बिरुध्द अठारह दिन के खुनी एवं विनाशकारी युध्द में विजयी हुए |युधिष्टिर हस्तिनापुर के राजा बने | बाद में पाचों पांडव तथा उनकी पत्नी (द्रोपती )सबकुछ परित्याग करके हिमालय पर्वत की ओरचले गए तथा वही उनकी मृत्यु हो गई |
इसका मेरे ऊपर प्रभाव -: यद्दपि मैंने अपने जीवन में अनेक पुस्तको का अध्यन किया है फिर भी महाभारत मुझको अत्यधिक प्रभावित किया इसी कारणइसे सर्वश्रेष्ट एवं अपनी सर्वाधिक प्रिय पुस्तक समझता हूँ मुझको प्रभावित करने के कारणों का निम्नलिखित पंकियो में संक्षिप्त विवेचन किया जा रहा है |
1-: महाभारत प्राचीन भारती साहित्य का अनुपम महाकाव्य है |इसमे पाडवोतथा कौरवो के मध्य ऐतिहासिक युध्द का वर्णन अंकित है |
2-:इस महाकाव्य ने मुझे सर्वाधिक इसलिए प्रभावी किया है | इसमे बुराईके ऊपर अच्छाई की अनुपम विजय की कहानी अंकित है कौरव जो वास्तव में दुष्ट थे अंत में मारे गए तथा उनका सर्वनास हो गया | पांडव जो गुणवान थे अंत उनका विजयी हुआ
3 -:इस महाकाव्य की रचना इतनी प्रभाव पूर्ण शैली में की गई है की इसको पढ़ने से हमको अपार शिक्षा मिलती है इस महाकाव्य की रचना सैली से पाठको अत्यधिक आनन्द एवं मनोरंजन भी मिलाता है |
मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध हिंदी में
4-:इस पुस्तक के अध्ययन के बाद हम पांडवों के जीवन चरित्र में शिक्षा ग्रहण करते हुए उनके महान एवं साहसी कार्यों के आधार पर राशि तथा शारीरिक रूप से मजबूत बनने का प्रयास कर सकते हैं
उपसंहार -: गीता कथा महाभारत भारतीय प्राचीन साहित्य के दो अद्वितीय महाकाव्य हैं वह भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के अभिन्न अंग बन गए हैं जो स्त्री पुरुष तथा बच्चे इन महाकाव्यों का ध्यान पूर्वक अध्ययन करेंगे व्यापार मनोरंजन एवं शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं इसी कारण एवं उद्देश्य मैं इस महाकाव्य का बार-बार अध्ययन करता हूं तथा मुझे इसके पढ़ने से अधिक आनंद मनोरंजन तथा शिक्षा भी मिलती है इस महा काव्य को मैं जीवन भर नहीं भूल सकता हूं
अंतिम शब्द -:
तो दोस्तों जैसा कि हमने आप को बताया मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध कैसे लिखते हैं आशा करते हैं यह निबंध आपको बहुत ही अच्छा लगा होगा यदि आपको किसी और विषय पर निबंध चाहिए तो आप हमसे कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं हम आपके लिए वह का वह निबंध जल्दी से जल्दी लाएंगे|
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